विषय- स्वदेशी अपनाएंगे, देशभक्त कहलाएंगे |फिर इस विशाल धरोहर को स्वावलम्बन का मुकुट पहनाएंगे सबकुछ यहीं बनाएंगे सबकुछ यहीं बनाएंगे भूल गये तुम दिन पुराने कितने घढे हैं किले ना जाने पत्थरों पर नक्काशी हमारी कलाकृति थी संस्कृति हमारी हम फिर अपनी मातृभूमि को सोने की चिड़िया बनाऐंगे स्वदेशी अपनाएंगे, देशभक्त कहलाएंगे |हमने सिखाई दुनियां को गिनती हमने ही शैल्य निदान किया हमने खोजी कणों में बिजली योग संग अनुसंधान किया हम कर्मयोगी इस युग में भी ज्ञान की गंगा बहाएंगे स्वदेशी अपनाएंगे, देशभक्त कहलाएंगे |हमने ही खोजा वायु मार्ग जड़ चेतन का बनकर सुजान हमने ही जगाया आयुर्वेदराजनीति, अर्थ, नीति तमाम हम अनुरागी होकर पथ में दीपक खुद ही जलाएंगे स्वदेशी अपनाएंगे, देशभक्त कहलाएंगे |राकेश कुमार
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बहुत बढ़िया ………………….. उम्दा सृजन !!
जी धन्यवाद आपका मान्यवर
Nice thoughts
जी धन्यवाद आपका आदरणीय
बहुत सुन्दर लिखा है आपने राकेश जी , आज भारतवर्ष को स्वावलम्बित होने की ज़रूरत भी है और समय की पुकार भी ।
जी सादर आभार आपका किरण जी