महत्वाकांक्षा के अम्बर सेधरती पर गया वो गिरसूचक था अन्याय कागया मिट्टी में वो मिलअपने कर्त्तव्य से विमुखद्वेष से था गया वो घिरधर्म-अधर्म की बात न जानीकृष्ण से था गया वो भिड़माता-पिता का था सुयोधनकरता रहा दुष्कर्म वो ढीठनाम दुर्योधन कुख्यात हुआदिया आदेश हरण को चीरस्वयं को देश से बड़ा वो मानादेश की छाती दिया वो छीलयुगों-युगों तक युद्ध न हो ऐसाकारण उसके महाभारत गया था छिड़
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सत्य वचन …………………… अति सुंदर !!
धन्यवाद🙏
सत्यता से परिपूर्ण सुँन्दर रचना विजय जी
धन्यवाद महोदया🙏