अब दूर तुमसे रहूं मैं ये ही सही बात होगी अगले जन्म में ही देखो अपनी मुलाक़ात होगी गुजरा है बारिश का मौसम नभ पे भी बादल नहीं हैं सावन में अगले ही अब तो लगता है बरसात होगी खुद ही चले आओगे तुम अपने गले से लगाने ऐसा अगर हो गया तो असली करामात होगी सच्ची मुहब्बत मिली है हर एक युग में जतन सेकुछ चीज ये कीमती है हरगिज ना खैरात होगीगलती हुईं खूब हमसे अब ना कोई रास्ता है फिर से मिलेंगे तो मधुकर अच्छे से एहतियात होगीशिशिर मधुकर
Оформить и получить экспресс займ на карту без отказа на любые нужды в день обращения. Взять потребительский кредит онлайн на выгодных условиях в в банке. Получить кредит наличными по паспорту, без справок и поручителей
अति सुंदर मधुकर जी
Dhanyavaad Devendra Ji …..
क्या खूब लिखा है आपने सर…. पर मैं भी कुछ दो पंक्तियाँ जोड़ना चाहूंगी।
प्रेम किसी दीदार की मोहताज नहीं होती,
जहाँ प्रेम होता है वहाँ एहतियात की बात नहीं होती
बात तो तुम्हारी एकदम सत्य है श्रीजा। मिलन की तड़प को शब्द देने के लिए प्रेम में कभी कभी या कहो अक्सर उलाहने भी तो होते हैं. बस इसको इसी दृष्टि से देखना. तुम्हारे सुंदर वक्तव्य के लिए अनेकों आभार।