ये कैसी विपदा आई हैमंदिर-मस्जिद बन्द करवाई हैहर जीवन के रंगीन आसमां मेंडर का घनघोर घटा छाई हैघर मे कैद में हुए सब भाई हैविषाणु ने जो कोहराम मचाई हैकोरोना मौत की परछाई हैदुनिया मे हाहाकार मचाई हैसमाधान की खोज न हो पाई हैमानवता की यह लड़ाई हैएकजुट हो जाओ दुनियावालोजीतनी हमें ये लड़ाई हैसतर्कता में सबों की भलाई हैस्वच्छ्ता सबने अपनाई हैकसम जन-जन ने खाई हैकोरोना की करनी विदाई है
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Good poem but I think dar ki instead of dar ka
Thanks Devesh ji
कोरोना पर मैंने भी लिखी है 27 मार्च को देखी नहीं क्या ?