वक्त बेवक्त तुम ही याद आती हो
मेरे दिल ओ दिमाग में कुछ इस कदर छाती हो
हौले से जब मुस्कराती हो
एक नशा सा कर जाती हो
तुम्हारे उस नशे में मैं खो जाता हूं
दो घूंट की और आशा करता हूं
इंतज़ार में तुम्हारे रहता हूं
इसी बात का अफसोस करता हूं
वक्त नहीं मेरे लिए तुम्हारे पास
पर फिर भी रहती है एक आस
क्योंकि तुम ही हो मेरे लिए खास
जीवन संगिनी हो तुम मेराआधार
तुम्हारे साथ का है इंतज़ार
तुम पर ही है ऐतबार
क्रोध न करो ये है आग
जो जला कर रख दे है खाक
तुम्हारे इस खाक में मैं बुझ न जाऊं
तुम्हारे इंतज़ार में मैं गुम न जाऊं
मत खा इतना तैस की उस में बह न जाऊं
तुम्हारे इंतज़ार में मैं कहीं राह में रह न जाऊं
तुम आ जाओ मेरे पास
तो जिंदगी को मिले ताज
एक दूजे के हैं हम खास
परेशानी में भी खुश रहने का करें काज
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देवेश दीक्षित
7982437710
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बहुत अच्छे,मनाने को अच्छा लिखा है
Thank you Vijay ji