Homeअकबर इलाहाबादीतहज़ीब के ख़िलाफ़ है तहज़ीब के ख़िलाफ़ है शुभाष अकबर इलाहाबादी 13/02/2012 No Comments तहज़ीब के ख़िलाफ़ है जो लाये राह पर अब शायरी वह है जो उभारे गुनाह पर क्या पूछते हो मुझसे कि मैं खुश हूँ या मलूल यह बात मुन्हसिर है तुम्हारी निगाह पर Tweet Pin It Related Posts मुस्लिम का मियाँपन सोख़्त करो सूप का शायक़ हूँ यख़नी होगी क्या एक बूढ़ा नहीफ़-ओ-खस्ता दराज़ About The Author शुभाष Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.