आगोश में था जो कभी मुझसे वो दूर है उलफत उसी से हो गई अपना कुसूर है तारीफ़ कर के मैंने उसे रब ही बना दिया आंखों से मेरी देख लो उसपे वो नूर है सच्ची है गर लगन तो सुनो ये लोग कह रहे वो चीज जिंदगी में तुम्हें मिलती जरूर है एक दिन वो बियाबान में तनहा रहेगा बस ऊँची उड़ान का जिसे रहता गुरूर है औरों की सोचता रहा खुद को दफन किया मधुकर जहां में अब तेरा किस्सा मशहूर है शिशिर मधुकर
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बहुत खूब!👌
Dhanyavaad
बहुत खूब शिशिर जी !
Dhanyavaad Nivatiya Ji …..
बिल्कुल मशहूर हो शिशिर जी
Shukriya Devesh Ji …….
मेरी भी कविता पढ़ लिया करो
या मेरा भी कुछ कसूर है
कुछ गलती हो तो बता दिया करो
हममें भी कुछ नूर है
कॉम्प्लीमेंट मिले अपनी कविता को
तो हम भी खुश हो लिया करें
न पढ़ कर दर्द दो हमको
कैसे व्यथा अपनी बयां करें
आपका फोन नंबर मिल सकता है क्या
Kya karoge numbed ka ……
Kabhi phone per baat karni ho kuchh puchna ho