फूलों की जिंदगी कितनी प्यारी है जो की खिलते हैं महकते हैं और महकाते हैं अद्भुत इनकी क्यारी है जिन पर ये फूल लेह-लहाते हैं कुछ तो ईश्वर के चरणों की शान हैं कुछ शहीदों पर चढे बढ़ाते उनकी शान हैं वो तो इनका सौभाग्य है जिनके पूरे हुए अरमान हैं फिर टूट कर बिखर जाते हैं फिर भी महकते हैं कुछ राहों पर हैं पड़े कुचले उनके अरमान हैं तब दिल में उठती एक टीस है ये कैसी प्रभु की रीत है जिसने दुनिया को महकाया है जिसने आँगन को महकाया है।।।।।
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Kavita chor
Kavita ki chori nahin karte
फूलों की ज़िंदगी के नाम से ये कविता पहले से ही पोस्ट है