रखा है जिसने ईमान यहाँ पेजल्द रुखसत हुआ वो जहाँ सेसुनती है दुनिया बेईमानो कोबाकी के लिए बहरे है यहाँ पेअपनो के लिए कभी जो लुटे थेएहसास वो करते आज ठगे सेसम्मान दिया था राम सा जिसकोव्यवहार वो करता रावण के जैसेचलना सिखाया जिसने सच पेझूठा निकला वो अपने वादों सेभरोसा दिया था जिसने हमकोपीठ पर वार किया उसी ने ख़ंजर सेमुखौटा लगा रखा था चेहरे पेपहचाना गया वो अपने कर्मों सेइस दुनिया मे सच्चा कहे अब किसकोदुनिया भरी पड़ी है झूठों से
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Good thought good poem
Thanks devesh ji