कैसी ये मुहब्बत है कैसी ये जवानी हैमन ही मन में तुमको जब बात छुपानी हैहै हुस्न बना भोला और इश्क हुआ तनहाउलफत की तो सदियों से बस ये ही कहानी हैतुम तो हंस लेते हो मैं रो भी ना पाया खुद के कांधे अपनी बस लाश उठानी हैमैं कोशिश मिलने की लो आज भी करता हूंतुम चुप ही रहते हो कितनी हैरानी हैचाहत के नाटक तो लाखों हैं दुनिया मेंपर कहीं नहीं मधुकर अब मीरा दीवानी है शिशिर मधुकर
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Good poem sir
Thanks a lot Devesh