कैसा ये विरोध हैचारो ओर मचा शोर हैहो रही तोड़-फोड़ हैअराजकता की होड़ हैहिंसा हो रही घनघोर हैजनता की न कोई ठौर हैआंखों से बहते लोर हैमौज में सारे चोर हैझूठी खबरों की दौर हैसच का ठिकाना गोर(कब्र) हैआनन-फानन में लोग हैगुंडो के पूजे जाते गोड़ है सत्ता पाने की जोर हैजनता के हाथों डोर हैदूर विकास की भोर हैबेमेल का यहाँ जोड़ है मजहब-जाति का कोढ़ है लोक-मानसिकता में खोड़(दोष) हैलपटे आग की चहुँओर हैहो रहा कैसा ये विरोध है By:-VIJAY
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Adbhut Kavita hai
Shukriya Devesh ji
कहते कुछ लोग देश में कुछ कोढ़
जाती- मजहब का तोड़ फोड़
देखकर विकास की मजबूत डोर
वोट के खातिर करते जोड़ तोड़
देश और जनता की नहीं सोच
जला रहे अपने टैक्स की नॉट
अराजकता की लगी हुई होड़
मजहब को बाट रहे पुरजोर
झूठी खबरों का फैलाते जोर
मौज में चला रहे तोड़ फोड़
अराजकता काटने पर जोर
पाक जैसे होता दिखा सपोर्ट
हिन्दुओं से नहीं जिसे मोह
आगजनी कर रहे ो लोग |
Sahi kaha aapne,sundar rachna