नरसंहारहत्याओं के इस दौर मेंमच गया हाहाकारहैवानियत के इस रूप नेबढ़ा दिया नरसंहारबेगुनाहों के खून सेपृथ्वी हो गई लालचीख-पुकार के माहौल मेंकैसे बीते सालहैवानियत के दरिंदों नेखींच दी है खालनारे – बाजी के झगड़ों मेंमसल दिये हैं लालनरसंहार न कभी रुका हैरुकेगा क्या अब खाकये कलयुग की लीला हैकरेगा ये सर्वनाशचोरी, डकैती और लूटपाट न बाकी हैऔर न बाकी है लहू की धारकलयुग है ये कहते हैंकहते हैं इसे समय की मारनरसंहार के इस दौर मेंउम्मीदों की बिछी है लाशइंसानियत मिल गई खाक मेंकैसा ये नरसंहार………………………………………………………………………………………………………………देवेश दीक्षित7982437710
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बहुत खूबसूरत रचना!
Bahut bahut dhanyawaad
Kaash dimag Mera computer hota ye wali bhi padna fir batana kaisi hai