फ़ना हो जाऊँ इश्क़ में
ऐसा सनम ढूंढता हूँ
गुम हो जाये पहचान
ऐसा नयन ढूंढता हूँ
तिनको में बिखेर दे दिल
वो आँचल का हवा ढूंढता हूँ
कैदी हो जाये दिल
वो दिल-जंजीर ढूंढता हूँ
तरसे देखने को नजर
वो हीर-हुस्न ढूंढता हूँ
छीन ले सुकून जो सारा
वो कहकशी आवाज ढूंढता हूँ
जख्म बना दे दिल पे
वो नैन-तीर ढूंढता हूँ
कर दे मदहोश मुझे
वो अंग-सुगंध ढूंढता हूँ
भूल जाऊँ मैं जन्नत
वो आगोश ढूंढता हूँ
तरंग अंग-अंग हो जाए
वो छुअन ढूंढता हूँ
तीव्र कर दे धड़कन को
वो नजदीकियां ढूंढता हूँ
बदल दे तकदीर को
वो पाक-कदम ढूंढता हूँ
By:-VIJAY
गजब की कविता लिखी है विजय जी मजा आ गया।
मेरी भी एक कविता है । एक झलक मेरे नाम के फोल्डर में देखना मजा आएगा।
गजब की कविता लिखी है विजय जी मजा आ गया।
मेरी भी एक कविता है । एक झलक मेरे नाम के फोल्डर में देख कर बताना।
शुक्रिया देवेश जी!आपकी रचना जरूर पढूंगा।
पढ़ी मेरी रचना