अरि नहीं हूं मैं किसी कीसखी हूं मैं हर किसी कीअबला कहने वाले सुन लोअब ना जुल्म सहूँ मैं किसी कीसुन ले आज के सब रावणचीर हरण करने वाले दुस्सासनअंत निकट है अब हर दानव कारूप दुर्गा का नारी ने किया है धारणअब नारी हर रण को है तैयारहाथों में सज्जित भाले तलवारखैर नही अब जग-दानव कीचंडी ने लिया है नारी अवतारभेदभाव नारी संग करने वालोंहाथों की कठपुतली कहने वालोंजना है जिसने जग में नर कोसम्मान उसका जरा तुम कर लो
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Bhaav achche hain. Vartni or gender ki problem par dhyaan den
धन्यवाद शिशिर जी।आपके सुझाव पर ध्यान दूंगा
Good poem
Thanks again Deveshji