गम और तन्हाइ का अन्दाज न होता
सफर मे वो अगर दगावाज न होता
फूल चुनते हुए चुभते नही काँटे
इश्क करने को गर मिजाज न होता
न जान पाते पाडोसी की टुटा क्या है
दिल टुटने का कोइ आवाज न होता
आदत बन गयी थि साथ सोने उठ्ने की
वरना उनकी दिदार की मोहताज न होता
ईतिहास ने बना दि वफावों का कहानी
वर्ना इश्क, मोहब्बत का अल्फाज न होता
हरि पौडेल
नेदर्ल्याण्ड
०५-०३-२०१८
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Behad sundar bhaav sampreshan.