जिसे हम प्यार करते हैं उसे रुसवा नहीं करतेहमारे दरमियाँ क्या है कभी चर्चा नहीं करतेतुम्हारे प्यार की खुश्बू हमेशा साथ रहती हैतुम्हारी याद के लश्कर कभी तन्हा नहीं करतेउजाले बांटते फिरते हैं जो दुनिया में लोगों कोकिसी सूरत में वो ईमान का सौदा नहीं करते’रज़ा’ सी सीने में जिनके नूर-ऐ-ईमाँ जगमगता हैकिसी मजबूर पर ज़ुल्मों सितम ढाया नहीं करते
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बहुत खूबसूरत….रज़ा साहिब….मकता देखिये फिर से…टंकण गलतियों से गड़बड़ हो गयी है…
बहुत शुक्रिया भाई आपकी पारखी नज़र को , शाद ओ आबाद रहें।
अति सुंदर रजा सहाब !
बहुत शुक्रिया भाई डी. के. निवातिया जी , शाद ओ आबाद रहें।