कहीं पर चीख़ होगीं और कहीं किलकारियाँ होंगींअगर हाकिम के आगे भूक और लाचारियाँ होंगींअगर हर दिल में चाहत हो शराफ़त हो सदाक़त होमहब्बत का चमन होगा ख़ुशी की क्यारियाँ होंगींकिसी को शौक़ यूँ होता नहीं ग़ुरबत में जीने कायक़ीनन सामने उसके बड़ी दुश्वारियाँ होंगींये होली ईद कहती है भला कब अपने हांथों मेंवफ़ा का रंग होगा प्यार की पिचकारियाँ होंगीसुख़नवर का ये आंगन है यहाँ पर शे’र महकेंगेंग़ज़ल और गीत नज़्मों की यहाँ फुलवारियाँ होंगींअगर जुगनू मुक़ाबिल में है आया आज सूरज केयक़ीनन पास उसके भी बड़ी तैयारियाँ होंगींन छोड़ो ये समझ के आग अब ठंडी हुई होगीये मुमकिन है’रज़ा’कुछ राख में चिंगारियाँ होंगीं_________________________
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Behad sundar ……………..
बहुत बहुत शुक्रिया मधुकर जी सलामत रहें शाद रहें।
Lazwad behatrin kya baat hai. ,,,, BADHAI.
बहुत बहुत शुक्रिया मेरे अजीज़ ,
बहुत बढ़िया….आदरणीय रज़ा साहिब…. शेर का बहुवचन तो अशआर होता है… शेरों से बह्र भी सही नहीं आ रही….
बिकुल सही फ़रमाया जनाब कुछ बदलाव किए गए हैं बहुत शुक्रिया ।
यह पुरनी ग़ज़ल थी कपि पेस्ट हुई है
कुछ शेर अभी और बदलेंगे।
Waah kya baat hey lajawaab 👌👌👌👏👏👏👏👏👏💐💐💐💐💐