तुम अगर चलोगे पात – पात
मैं डाल – डाल पर आऊँगी।
तुम जितना ढूंढोगे मुझको
उतना ही मैं तड़पाऊँगी।।
स्नेह का यह खेल निराला
जिस भी दिल में बस जाता है।
हाल न उसका पूछो साथी
वह दलदल मे फंँस जाता है।।
जब तक होती आँख मिचौली
समझ में नहीं कुछ आता है।
दिल इतना पागल बन जाता
नयनों पर वह छा जाता है।।
चैन – वैन सब खो जाता है
मन, यादों की गहराई में।
ख्वाहिशों में उलझ जाता है
तकदीरों की तरुणाई में।।
यह कैसा रिश्तों का बंधन
या द्वंद है उन फरिश्तों का।
जहाँ दर्द ही दर्द मिलता है
संगम कैसा यह जीस्तों का।।
प्यार किसी का फलता भी है
उससे ज्यादा वह छलता है।
थोड़े में आपे से बाहर
होकर ये खूब मचलता है।।
Оформить и получить экспресс займ на карту без отказа на любые нужды в день обращения. Взять потребительский кредит онлайн на выгодных условиях в в банке. Получить кредит наличными по паспорту, без справок и поручителей
प्यार भरी आंख मिचौली रचना के लिए बधाई!