1-श्री गणपति करिए कृपा, माँ शारद दो ज्ञान |
ज्योतिष पर कुछ लिखसकूँ, हो न कभीअभिमान ||
हो न कभी अभिमान,कृपा श्री राघव कर दो |
बजरंगी हनुमान,दास को अब तुम वर दो ||
दीन दुखी शिवदास,बनो तुम मेरे अधिपति |
विघ्नहरण गणनाथ,विघ्न हर लो श्री गणपति ||
2-जप गायत्री का करूँ,शिव को करूँ प्रणाम |
शशिशेखर करिए कृपा,छंद लिखूँ अविराम ||
छंद लिखूँ अविराम,न कोई बाधा आये |
गृह गोचर फल रूप,छंद में साधा जाये ||
भक्त बने शिवदास,करे राघव शिव का तप |
वैदिक ज्योतिष ज्ञान,करा दे गायत्री जप ||
3-वंदन कर जगदम्ब का,गुरु को शीश नवाय |
ज्योतिष महिमा कोलिखूँ, सुन्दर छंद सुहाय ||
सुन्दर छंद सुहाय,कृपा माँ की हो अविरल |
पिता करें सहयोग, बंधुपरिजन हों निश्छ्ल ||
अज्ञ मूर्ख शिवदास,शरण में लो रघुनन्दन |
ब्रह्मा, विष्णु, महेश, सभी को मेरा वंदन ||
4-नटवर, हलधर, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न साथ |
सीता, राधा, वैष्णवी, सबहिं नवाऊँ माथ ||
सबहिं नवाऊँ माथ,कृपा सबकी मिल जाये |
हिंदी ज्योतिष ग्रन्थ,विश्व व्यापी बन पाये ||
शिव की इच्छा पूर्ण,करेंगें निश्चित श्री हर |
अवढर दानी शम्भु,कृपा करते श्री नटवर ||
5-गंगा, सरयू, गोमती, सबको करूँ प्रणाम |
भारत माँ की कृपा से, पूरा हो अब काम ||
पूरा हो अब काम,काव्यमय ज्योतिष वाणी |
वेद नेत्र खुल जाय,दृष्टि शुभ पाये प्राणी ||
शिव का सबको नमन, न कोई कर दे पंगा |
ज्योतिष पर शुभ काव्य,लिखा दो माता गंगा ||
6-भास्कर, शशि, कुज, बुद्ध ग्रह, सबका लेकर नाम |
गुरु, भार्गव,शनि, राहु, ध्वज, सबको कोटि प्रणाम ||
सबको कोटि प्रणाम,करें सब कृपा घनेरी |
हो जाये निर्विघ्न,पूर्ण अब इच्छा मेरी ||
ग्रह ग्रहीत शिवदास,कृपा अब करो शनैश्चर |
गुरु, शशि,कुज, बुध, शुक्र, शुभद हों सहित भास्कर ||
7-नारद,सूर्य, वशिष्ठ, भृगु, यवन चवन मुनिनाथ |
गर्ग, अंगिरा, अत्रि, मनु सबहिं नवाऊँ माथ ||
सबहिं नवाऊँ माथ,पितामह श्री पारासर |
कश्यप और पुलस्त्य,मरीची, लोमश ऋषिवर ||
शिव को दें वरदान,व्यास वेदान्त विशारद |
शौनकादि ऋषि श्रेष्ठ,कृपा कर दें श्री नारद ||
8-साधक साईँ की कृपा,मुझ पर रहे विशेष |
पितर यक्ष गंधर्व गण,दया करें श्री शेष ||
दया करें श्री शेष, भूत प्रेतादिक प्राणी |
कृपा करें अब सर्व, लिखा दें ज्योतिष वाणी ||
शिव का शुभ उद्देश्य,बनें मत कोई बाधक |
दीन जनों के काम,बनाते साईँ साधक ||
9-कृपा सुकविगण सबकरें, हो यदि पिंगल भंग |
ज्योतिष के आचार्य गण,करें न हमसे जंग ||
करें न हमसे जंग,इशारे से समझा दें |
हो यदि उचित सलाह,उसे मुझ तक पहुंचा दें ||
अज्ञ भक्त शिवदास,व्यथित रहता है प्रतिक्षण |
हों दयालु सर्वज्ञ, कृपा अब करें सुकवि गण ||
10-झूठे विप्रकुकर्मरत, व्यभिचारी कुलवान |
निराचार भाषण कुशल, परम नीच धनवान ||
परम नीच धनवान,सदा प्रिय आमिष उनको |
वेश्या प्रेमी मंद,द्वंद, झगड़ा प्रिय जिनको ||
नमन करे शिवदास,न कोई मुझसे रूठे |
लिख लेनें दें छंद,विप्र प्रिय वृषली झूठे ||
11-वेद नीति से दूरहै, अब तो दलित समाज |
धनबल, जनबल ,बाहुबल, पाकर बनते बाज ||
पाकर बनते बाज,द्विजों को मूर्ख बताते |
छोड़ सनातन धर्म, विधर्मी जो हो जाते ||
शिव का है अनुरोध,जुड़े वे बुद्ध प्रीति से |
वैदिक ज्योतिष ज्ञान,न उलझें वेद नीति से ||
12-हठवादी, खल मूर्ख, शठ, धूर्त दुष्ट बलवान |
महाकुतर्की, अज्ञ जो, भाग्यबली अज्ञान ||
भाग्यबली अज्ञान,वेद वैरी बकवादी |
ज्योतिष के जो शत्रु,नशेड़ी प्रबल प्रमादी ||
शिव का सबको नमन,प्रपंची महाविवादी |
करें कृपा खल सर्व,सुधर जायें हठवादी ||
13-मृगनैनी के नैन शर,करें न मुझ पर वार |
बिधुबदनी गजगामिनी,करें न झूठा प्यार ||
करें न झूठा प्यार,छंद मैं ज्योतिष गाऊँ |
ज्योतिष काव्य प्रबंध,छंद मैं कुछ लिख पाऊँ ||
कहता शिव शर्माय,दृष्टि सुमुखी की पैनी |
लिखने दो अब छंद,दूर रहना मृगनैनी ||
14-भूले बिसरे विप्रद्विज, दिव्य ज्योतिषाचार्य |
सबका मैं वंदन करूँ,कृपा करें सब आर्य ||
कृपा करें सब आर्य,विश्व के सारे मानव |
बनें न कोई शत्रु,देव, ऋषि, नर या दानव ||
शिव का शुचि संकल्प,मगन मन झूला झूले |
हम पर रहें कृपालु,जिन्हें हम भ्रम से भूले ||
15-सागर में अब नावहै, लो राघव पतवार |
एक सहारा आप का,नाव लगाना पार ||
नाव लगाना पार,वंदना सबकी गाई |
अखिल विश्व में राम,तुम्हारी है प्रभुताई ||
आर्त हुआ शिवदास,तात खल शठ हठआगर |
हिंदी ज्योतिष ग्रन्थ, लिखा दो करुणासागर ||
आचार्य शिवप्रकाशअवस्थी
9582510029
Оформить и получить экспресс займ на карту без отказа на любые нужды в день обращения. Взять потребительский кредит онлайн на выгодных условиях в в банке. Получить кредит наличными по паспорту, без справок и поручителей
बहुत ही सुंदर प्रस्तुति।