खुद में कुछ न बाकि छुपाकर मैं रखता हूँ
लूट ले जाओगे ऐसा बचाकर कुछ न रखता हूँ
चंद सांसो संग गम अपार ही बचा है अब मुझमे
लूट ले जाये इसे इसका खौफ दिल में न रखता हूँ
ज़माने की तमाम खुशियों से महरूम रहता हूं
तमाम गम से यारी करके मैं मगरूर रहता हूँ
खुशियों के कस्बो में हर तरफ रहती है आबादी
गम के कस्बो को अकेले आबाद मैं करता हूँ
जिंदगी अंधेरो में बिताता मैं अब रहता हूँ
बदकिस्मती के सहारे जिन्दा मैं अब रहता हूं
एक टूटा हुआ तारा ही देता मेरे वो जीवन में
शिकायत बस इतनी अपने खुदा से मैं ये करता हूँ
दर्द है मेरे हिस्से में इसका मलाल न करता हूँ
ख़ुशी मिल जाये अपनों को दुआ रब से करता हूँ
नींद चैन की अब तक मैं सो न पाया हूँ
मज़ार-ए-खुद में नींद चैन की आये उम्मीद करता हूँ
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बेहद खूबसूरत….आदरणीय…..
बहुत-बहुत धन्यवाद!