मुहब्बत तू लुटाता है मगर मैं ले ना पाती हूं
खता मैंने करी उसका ही कर्जा अब चुकाती हूं
ये जीवन कट गया अब और कुछ तो है नहीं बाकी
मिले अगले जनम में तू ही तू मन में मनाती हूं
अधिक मिलता रहेगा तो मैं काबू कैसे रक्खूंगी
देख के तुझको इस कारण ही मैं नजरें झुकाती हूं
जो मन में आ गया वो बेधड़क हो कह दिया तुझसे
वरना औरों से मैं बातें जहन की ना बताती हूं
तेरा मेरा जो रिश्ता है उसे दुनिया ना समझेगी
बड़ी मुश्किल से मधुकर मैं इसे सब से छुपाती हूं
शिशिर मधुकर
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umda…………..madhukarji….
Dhanyavaad Babbu Ji ……
वाह क्या खूब बंधन है………………………अति सुंदर शिशिर जी …………….!!
Tahe dil se shukriya NIvatiya Ji ……