मिले हो तुम सफर में तो नए अरमान जागे हैं
मुहब्बत में दिलों को बांधते भावों के धागे हैं
जिन्हें अंदाज ही ना हो मुहब्बत बिन है सूना सब
जमाने भर में ऐसे लोग तो बिलकुल अभागे हैं
दोष मेरा है ज्यादा पर समझ लेना ये तो तुम भी
नजर के तीर मेरे दिल की जानिब तुमने दागे हैं
भले बदनाम हो जाएं मगर तुमको ना भूलेंगे
दाग मेरे क़त्ल के हाथों पे तेरे भी लागे हैं
निकल आया हूं बाहर तो मैं अब वापस ना जाऊंगा
गुजर जाऊंगा सारे मोड़ों से मधुकर जो आगे हैं
शिशिर मधुकर
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laajwaab….makta thoda kamzor lagta….
Tahe dil se shukriya Babbu Ji . Sudhaar karne ki ko shi sh karunga
उत्तम सृजन ………………!!
Tahe dil se shukriya Nivatiya Ji …..