नजदीक आ मेरे जरा तुझको निहार लूं
तेरी छवि एक बार फिर दिल में उतार लूं
जो मिलने का वादा करे वादा रहा मेरा
तू जिस तरह से बोल दे वैसे पुकार लूं
तू जुल्फों का साया मेरे माथे पे डाल दे
जो गम इकट्ठे हो गए उनको बिसार लूं
चाहत तेरी की जुस्तजू बाकी है आज भी
भगवान से इसके लिए सांसें उधार लूं
तू इक इशारा भर जरा कर के तो देख ले
गलती हर इक जो हो गई उसको सुधार लूं
मिलने की आरजू मेरी यूं बेवजह नहीं
तुझको सुकूं दे के कहीं खुद भी करार लूं
तेरा करम हो जाए गर जो तपती धूप में
कुछ पल खुशी के छांव में मधुकर गुजार लूं
शिशिर मधुकर
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umda………………
bahut khubsurat