Homeअकबर इलाहाबादीख़ैर उनको कुछ न आए ख़ैर उनको कुछ न आए शुभाष अकबर इलाहाबादी 13/02/2012 No Comments ख़ैर उनको कुछ न आए फाँस लेने के सिवा मुझको अब करना ही क्या है साँस लेने के सिवा थी शबे-तारीक, चोर आए, जो कुछ था ले गए कर ही क्या सकता था बन्दा खाँस लेने के सिवा Tweet Pin It Related Posts हो न रंगीन तबीयत कोई हँस रहा है कोई रो रहा है हिन्द में तो मज़हबी हालत है अब नागुफ़्ता बेह About The Author शुभाष Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.