__________________________शाम-ए-रंगीं गुलबदन गुलफा़म हैमिल गए तुम जाम का क्या काम हैजिससे रोशन मेरी सुब्ह-ओ-शाम हैमेरे होटों पे फक़त वो नाम हैमेरा घर खुशिओं से है आरास्तामेरे रब का ये बड़ा इनआ’म हैधूप में साया हो जैसे छाँव काकाकुल-ए-जानाँ में यूँ आराम हैपा के सुर्खी़ आपके रुख़सार कीख़ूबसूरत आज कितनी शाम हैजिसके दम पर है मोहब्बत का वजूदवो हमारा मज़हब-ए-इस्लाम हैहम किसी से दुश्मनी करते नहींदोस्ती तो प्यार का पैग़ाम हैलोग कहते हैं बुरा कहते रहेंसाफ़ गोई में ‘रज़ा’ बदनाम है__________________________
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वाह बहुत उम्दा, लाज़बाब भाव सम्प्रेषण, उत्तम रचना आपकी रज़ा साहब
गुस्ताखी के लिए मुआफी चाहूंगा, ग़ज़ल में हाथ तंग है यदि मात्रिक ज्ञान का बोध कराकर मेरा मार्गदर्शन करे तो आपकी बड़ी मेहरबानी होंगी, अन्यथा न लेते हुए निंम्न पंक्ति में मात्रा भार कैसे गिनना है कृपया सहायता कर कृतार्थ करें !!
मेरे रब का ये बड़ा इनआ’म है
निवातिया जी….”मेरे रब का ये बड़ा इनआ’म है” (२१२२/२१२२/२१२) मे(२)रे(१) रब(२)का (२)/ ये(२) ब(१)ड़ा (२)इन(२)/ आ(२)म (१)है (२)
जी बब्बू जी, ……………… मेरा संशय भी यही है की एक साथ प्रयोग सामान वर्ण की अलग अलग मात्रा भार कैसे कर सकते है मे(२) रे(१) जबकि मेरे में या तो दोनों को २२ माना जाए या दोनों को ११ यदि पृथक वर्ण है जैसे ये (२) इसे चाहे तो एक मान ले या दो ….!
निवातिया जी इसमें हो सकता है….मात्रा पतन….
जी शुक्रिया ज्ञानवर्धन करने के लिए…………… इसके लिए की विशेष नियम, या अपनी आवश्यकतानुसार प्रयोग किया जा सकता है !
बहुत शुक्रिया शर्मा जी
वाह्ह….बेहद खूबसूरत…उम्दा…आदरणीय राजा साहिब…
आदरणीय निवातिया जी , ग़ज़ल तक पहुँचने के लिए बहुत शुक्रिया ,
आदरणीय शर्मा जी द्वारा तक़्ती कर दी गई है मुझे उम्मीद है की आप समझ गए होंगे। . कोई शंका हो तो ज़रूर लिखें ,
आदरणीय सी एम शर्मा जी ,
आपने बहुत अच्छे से समझाया आपकी मोहब्बत के लिए बहुत शुक्रिया ,
आदरणीय निवातिया जी ,
शे’रों की तक़्ती में ज़रूरत के मुताबिक़ आ ई ऊ ए ओ स्वर को गिरा कर १ मात्रिक कर सकते है//
आदरणीय रज़ा साहेब आपका और शर्मा जी का तहदिल शुक्रिया,
आप लोगो की बात से सहमत हूँ की शे’रों की तक़्ती में ज़रूरत के मुताबिक़ स्वर को गिरा कर १ मात्रिक कर सकते है,
दरअसल ग़ज़ल के मामले में अनेक विचारधारा प्रचलित है, प्रत्येक ग़ज़लकार अपने हिसाब से मात्रा पतन करता है !
इसी पटल पर बहुत पहले किसी ने कहा था की एक शब्द के दो वर्णो में मात्रा पतन सामान रखा जाता है जैसे मैंने २ २ या १ १ मैं/२ / ने/२ या फिर १ १ (मैं/२ / ने/१ या मैं/१ ने/२) ऐसा नहीं कर सकते ।
उक्त संशय को दूर करने के लिए जिज्ञासा वश हिमाकत की सही जानकारी जुटाने के लिए अन्यथा न ले !
आदरणीय डी. के. निवातिया साहब ,
”दरअसल ग़ज़ल के मामले में अनेक विचारधारा प्रचलित है, प्रत्येक ग़ज़लकार अपने हिसाब से मात्रा पतन करता है !”
नहीं भाई कोई ग़ज़ल कार का अपना मन नहीं होता बल्कि अलग अलग बहर में अलग अलग अरकान के मुताबिक़ मात्रा का पतन होता है। ..
ख़ैर ख़ूब पढ़ें इक दिन सब समझ आ जाएगा।
आदरणीय रज़ा साहब, बहुत बहुत धन्यवाद आपका, ……………यह बात उचित कही आपने….. समझने योग्य है की अलग-अलग बहर में अलग-अलग अरकान के मुताबिक़ मात्रा का पतन होता है। ……………….इस विषय से संबंघित कोई उचित किताब या अन्य जानकारी पाने योग साधन हो तो अवशय साझा कीजियेगा । …………..बहुत बहुत धन्यवाद आपका !
Bahut bhadiya ……
D K साहब यहाँ पर कुछ आपके काम की चीज़ें मिल जाएंगी
https://salimrazarewa.blogspot.com/2019/10/blog-post_6.html
मधुकर जी आपका तहे दिल से शुक्रिया