मुहब्बत का हसीं जज्बा खुदा ने क्यों बनाया है
सुकूं इंसान का तो इक फकत इसमें समाया है
किसी की मिल गई उनको मुहब्बत लग रहा है ये
तभी तो नूर चेहरों पे हुआ इतना नुमाया है
किसी ने कह के मन की बात इक शुरुआत कर डाली
किसी ने बस सदा जज्बात को मन में छुपाया है
शिकायत जुर्म की तो इस किसी से कर नहीं सकते
मेरे महबूब ने चुपचाप मधुकर दिल चुराया है
तड़प जाती नहीं दिल से कहें किस से तुम्हीं बोलो
करम तेरा दीवाने पे तेरे अब तक बकाया है
शिशिर मधुकर
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मधुकर जी ग़ज़ल के लिए बधाई स्वविकारें,
ये शेर और साफ़ करें.. और अगर maqta हैं तो सबसे नीचे लिखें,
शिकायत जुर्म की तो इस किसी से कर नहीं सकते
मेरे महबूब ने चुपचाप मधुकर दिल चुराया है
Dhanyavaad Salim Bhai. Krapyaa bataaen kya cheej me confusion hai.