गुलशन में हवा महकी धीमे से बह रही थी
मुस्कान तेरे लब की कुछ मुझसे कह रही थी
तू दूर जब गया था कोई मुझे ना समझा
चुपचाप सारी पीड़ा तनहा मैं सह रही थी
फूलों की सेज सा था बाहों में तेरी आना
कांटो के बीच पहले केवल मैं रह रही थी
जन्मों का प्यार क्या है तूने मुझे जताया
रिश्ता कोई पुराना इसकी वजह रही थी
तू जिस जगह भी मधुकर थामे था हाथ मेरा
हर उस जगह पे मेरी पूरी फतह रही थी
शिशिर मधुकर
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bahut khoob……
Tahe dil se shukriya Babbu Ji ……
अति सुंदर शिशिर जी
Tahe dil se shukriya Nivatiya Ji ……