एक तू है जिसे देख कर के
आज खुशियों का आलम बना है
मैंने तुझको कसम दी है हमदम
दूर जाना तेरा अब मना है
तेरी मेरी मुहब्बत से जाने
इस जमाने को क्यों है अदावत
हमनें कुछ ना किसी का बिगाड़ा
फिर क्यों रूठा हुआ हर जना है
वो चिल्ला रहा है मुसलसल
बिना बात को पूरी समझे
उसकी हरकत ये जतला रही है
ये एकदम से थोथा चना है
तेरी कीमत तुझे क्या बताऊं
बस तू इतना ही इसको समझ ले
जब से तू मेरे जीवन में आया
मेरा सीना गर्व से तना है
तुझको इक बात और मैं बता दूं
जो शायद कही थी ना पहले
मैंने दिल दे के तुझको है जीता
मधुकर मेरी अब तू अना है
शिशिर मधुकर
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बहुत बढ़िया….मधुकर जी…. “हर जना है” या हर इक जना है…. मुझे लगता है भाषा में ‘हर’ सम्पूर्ण नहीं है जब इसको किसी चीज़ को मापने में लेते हैं… क्या ख्याल है आपका…
Dhanyvaad Babbu Ji. Appka sujhaav bhi achcha hai