मेरे दिल में तो तू है समाया कोई कैसे भी अब खेल खेले
मैं दीवानी तेरी हो गई हूं तुझ पे रस प्रीत के सब उड़ेले
हर समय तू ही तू है जहन में मुझे भाए ना कोई भी साथी
यूं ही कब तक तड़प के रहेंगे दूर अब हम अकेले अकेले
इक तेरे साथ की है तमन्ना किसी गहने का मैं क्या करूंगी
मुझे बांहों में आ के छुपा ले अब तो सूने लगे हैं ये मेले
कोई देखेंगे अब क्या करेगा मुझे मरने का डर भी नहीं है
तीर दुनिया की बातों के मैंने इसी सीने पे अपने हैं झेले
बड़ी मुश्किल हुई जिंदगानी तुझे हालत मैं कैसे बताऊं
पल तनहा रही हूं मैं जिन में युग युग की तरह हैं धकेले
शिशिर मधुकर
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ati sundar………………….
Dhanyavaad Babbu Ji …….