तू मिलता नहीं है जो मुझसे सांस भारी मेरी चल रही है
तेरी यादों की ज्वाला में बिरहन हर समय देख ले जल रही है
लाख चाहा बुझाना शमा को इस जमाने के लोगों ने मिल के
तू मगर देख ले खुद से आ के जोत उलफत की नित बल रही है
क्यों था पहले हमें यूं मिलाया दूरियां जो खटकने लगीं अब
खेल कुदरत के देखे निराले जिंदगी भी हमें छल रही है
प्यार तुझ पे मैं सारा लुटा दूं तू चला आ बिना देर के अब
कब ये रोके रुकी है किसी के जवानी मेरी ढल रही है
रोज करती हूं मैं ये इबादत ना रुकावट से अब सामना हो
कोई अर्जी मगर देख मधुकर मेरी भी ना फल रही है
शिशिर मधुकर
Оформить и получить экспресс займ на карту без отказа на любые нужды в день обращения. Взять потребительский кредит онлайн на выгодных условиях в в банке. Получить кредит наличными по паспорту, без справок и поручителей
ati sundar……………..
Dhanyavaad Babbu Ji ……..
अति सुंदर शिशिर जी
Dhanyavaad Nivatiya Ji ………….
बहुत खूब!
Bahut bahut dhanyvaad