कश्यप ऋषि की तपो भूमि पर,भगवा रंगा लहरा देंगे
15 अगस्त को लाल चौक पर, राष्ट्र ध्वज फहरा देंगे।
बहुत हुए हैं जूल्मों – सितम , चैन – ओ – अमन हम ला देंगे
आँख उठी अगर दुश्मन की, तो उसे कुचलकर रख देंगे ।
फिर महके केसरिया क्यारी, ऐसा जोश हम भर देंगे
घाटी में बरसेंगी खुशियाँ, नींद दुश्मन का हर लेंगे।
बाबा अमरनाथ की नगरी, आतंक से आजाद हुआ
सिंधु सतलज झेलम नदियाँ, रावी घाट आवाद हुआ।
राजा गुलाब, हरी सिंह जी, दोनों हिंद के साथ रहे
दस्तवेज के अनुच्छेदों में, उनके बड़े ही हाथ रहे।
डल झील नीर नीचे गिरती, प्रकृति छटा मनोरम लगती
वादियों में शान है कितनी, छवि शिला स्वर्ण सम दिखती।
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बेहद खूबसूरत बिंदुजी…. शितम को सितम कर लें…. मुझे लगता इस रचना में आत्म विश्वास और अपनी पहचान को झलकना चाहिए तो और निखार आएगा…
जैसे यह पंक्तियाँ लिखी हैं आपने….
बहुत सहे जूल्मों – शितम को, अब चैन अमन हम भर देंगे
दुश्मन आँख उठाए कोई , उसका दमन हम कर देंगे ।
महकेगी अब केसर क्यारी, नया उमंग भर जायेगा
घाटी में खुशियाँ ही होंगी,दुश्मन दंग रह जायेगा।
इनको ऐसे सोच कर देखें…कोई फर्क लगता क्या…
बहुत हुए हैं जुल्मों-सितम अब चैन-ओ-अमन हम लाएंगे…
आँख अगर उठी दुश्मन की तो उसे कुचल कर रख देंगे….
फिर महके केसरिया क्यारी ऐसा जोश हम भर देंगे….
बरसेंगी घाटी में खुशियां दुश्मन के होश हम हर लेंगे….
Niwatia jee hamne sudhar kiya hai thoda dekh len.