हिम ओढ़े जहाँ शिला खड़ी है,वो कश्मीर हमारा है
साकार होगा अखंड भारत का सपना,ये प्रण हमारा है
हाहाकार मचा रखा जो तुमने,वो आतंकवाद तुम्हारा है
दर-दर हाथ फैला रहे हो,ऐसा हाल तुम्हारा है
हमने तो अपने खेतों में,धान-गेंहूँ की फसल उगाई है
अपने घर के हर बच्चे में,ज्ञान की दीप जलाई है
तुम देखो अपने खेतों में,कैसी फसल लगाई है
छोटे-छोटे बच्चों के हाथों में,तुमने बन्दूक थमाई है
खुद्गरजो की टोली वो है,जिसने घाटी को श्मशान बनाया है
भारत माँ के वस्त्र तिरंगे,को भी जिसने आग लगाया है
हो रहा हिसाब अब हर दुश्मन का,जिसने आतंक मचाया है
घर में छुपे अब हर अफजल को,नर्क का राह दिखाया है
वीरगति को प्राप्त हुए कितने,आज़ाद हिंद कराने में
जवानी का सावन जब था,झूल गए थे फांसी पे
अब न बहेगा खून का कतरा, कश्मीर के चौराहों पे
अब न कोई जयचंद बचेगा,चौहान के तलवारो से
सांसे जिनकी चल रही,बहती हिन्द की हवाओ से
पर कलमा वो पढ़ते है,दुश्मन के आकाओं के
अब हर दुश्मन को बाहर हम,चुन-चुनकर निकालेंगे
और श्रीनगर की लाल-चौक पर,फांसी पर लटकाएंगे
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बेहद खूबसूरत………….
💐धन्यवाद….
super se bhi uper
बहुत-बहुत शुक्रिया।
बहुत अच्छी रचना है। मेरी भी है इसमें कश्मीर की कविता
धन्यवाद महोदय!आपकी रचना भी पढूंगा