हरियाणा की बेटी
बेटी हरयाणा की थी
बहुत प्यारी नाना की थी।
सुषमा नाम था कितना प्यारा
देश भक्ति जैसे राणा की थी।।
राजनीति में कूद पड़ी
हर बाधा में वह थी खड़ी।
हक और हकीकत पर सदा
हौसला लेकर वो थी अड़ी।।
सपने उनके साकार हुए
उनके दुश्मन लाचार हुए।
वह नारी की ही शक्ति थी
जो शब्द वाण कटार हुए।।
हर बार ही उनकी जय हुई
अंतिम सांसों तक विजय हुई।
वह आंथी बनकर आई थी
अपने कर्मो से वह उदय हुई।।
जनादेश की बातों से
नहीं कभी वह डरती थी ।
कड़वी सत्य ही कहती थी
बातों – बातों पर हंसती थी।।
गुणों की वह खान थी नारी
हिंदुस्ताँ की पहचान थी नारी।
पूरा जीवन ही राष्ट्र हीत में
स्वराज की सम्मान थी नारी।।
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भावभीनी श्रधांजलि सुषमा जी को।
बहुत बढ़िया….”जनादेश की बातों पर …..वह शेरनी बन गरजती थी”…. भावों का तालमेल नहीं है… विरोधाभासी हैं…नाकारात्मकता लिए….