
मनमौजी सावन के मेघ
चहुँ ओर घुमड़ते जाते हैं
प्रिय तेरी यादों के घेरे
दिल को कसते जाते हैं
उच्चाट करता शीतल जल भी
धीर कहाँ अब धरता है
तेरा प्यार बनकर सावन
मुझपर रोज बरसता है
यादें खट्टे आमों के जैसी
बाहों में अकुलाती हैं
और अधरों पर गिरती बूँदे
तुझको रोज बुलाती हैं
मदहोश हवा भी विरहन बनकर
ख्यालों से टकराती है
और ये भीनी भीनी खुशबू
तेरी याद दिलाती है। राकेश
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अति सुंदर ………………………….!
जी धन्यवाद आपका
bahut khoobsoorat……………
बहुत बहुत आभार शर्मा जी