वक़्त की क़ैद से छूटे लम्हे,बैठ तू साथ मेरे दिल से कहते लम्हे।है उम्र भर की थकनआके छू ले मेरा मनथाम ले हाथ मेरा मुझसे कहते लम्हेलफ्जों का दौर न हो सिर्फ खामोशी होदिल ही दिल बात करें यूँ महकते लम्हेतू बयां दर्द करे मेरी आँखें छलकेहो मुलाकात ये ऐसी कि सिसकते लम्हे।गिला मुझको नही है यूँ तेरे जाने काकुछ अधूरा ही रहा आहें भरते लम्हे।मेरी सांसो की कसम तुमको आना होगासाथ जन्मों का है,कहे बदलते लम्हे। देवेंद्र प्रताप वर्मा”विनीत”
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बेहद खूबसूरत….आ०
अति उत्तम सृजन !
Bathurst sundar Devendra……
Bahut sundar padhaa typo mistake ho gai