अगर चाहत नहीं कोई तो इतना क्यों संवरते हो नजरें नीची करे फिर सामने से क्यों गुजरते हो छुपे रहते हो मेघों में जाने क्या सोच सावन में मगर दिल को लुभाने को अचानक से उभरते हो जिस घड़ी अजनबी से तुम बने थे साथ में मेरे ऐसे आलम में जानां तुन मुझे हरदम अखरते हो मुहब्बत के नशे की लत अगर इक बार लग जाए लाख कोशिश करो फिर भी बशर तुम ना सुधरते हो दूर जाने की कोशिश ना करो इस बात को समझोकिनारों से परे तुम नदिया के भीतर को उतरते हो शिशिर मधुकर
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बहुत खूबसूरत…..बने से साथ…मुझे लगता बने थे साथ…होगा देखिएगा….
Tahe dil se shukriya Babbu Ji
बहुत खूबसूरत !
Tahe dil se shukriya Nivatiya Ji ….