कैसे तुम्हें बिसार दूं तुम जान हो मेरी गीत और गजलों में इक पहचान हो मेरी जिसकी तमन्ना आज भी सीने में पल रही वो अधूरा सा पड़ा अरमान हो मेरी जिस तलक जब भी गया इक सुख नसीब था खुशियों भरी तुम वो अनोखी खान हो मेरी जिंदगी के साज को कितना भी साध लूं हर दफा देखो तुम्हीं तो तान हो मेरी कुछ तो निभाओ तुम भी अपनी ओर से धरम मधुकर कहे ना जिंदगी वीरान हो मेरी शिशिर मधुकर
Оформить и получить экспресс займ на карту без отказа на любые нужды в день обращения. Взять потребительский кредит онлайн на выгодных условиях в в банке. Получить кредит наличными по паспорту, без справок и поручителей
बहुत बढ़िया….इक पहचान… इक निकाल दें तो खूबसूरती और बढ़ती है… देखिएगा….अरमान प्रभु जी…पुलिंग है…रदीफ़ टूट गया…
Babbu Ji Armaan ke lie pada shabd hai jabki meree jiske lie ye armaan hain uske lie prayog kiyaa hai naa ki armaan ke lie
वाह क्या बात है ……….!
Tahe dil se shukriya Nivatiya Ji