पुकारा जो तूने ज़माना खड़ा था मुहब्बत के चर्चे का खतरा बड़ा था कुछ भी कहा ना और कुछ ना पूछा होठों पे मैंने ताला जड़ा था आसां नहीं था यूं ही दूर रहना ये फैसला मेरा देखो कड़ा था हमले हुए थे दुनिया के जब भी तेरा हाथ पकड़े में सबसे लड़ा था वो तूफां का मंजर ना भूला था मधुकर कहर जिसका तुझको भी सहना पड़ा था शिशिर मधुकर
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बहुत बढ़िया….भूला कर लें अंत में…
Tahe dil se shukriya Babbu ji. Awwashyak sudhaar kar liyaa hai.
बहुत ही सुन्दर सर
Tahe dil se shukriya Bhavna Ji ……
बहुत खूबसूरत शिशिर जी !
Tahe dil se shukriya Nivatiya Ji ………