नन्हे कदमों से छम छम बजती पायल की झंकारठुमक ठुमक कर चलती बिटियाकरती है सबका मनुहार।माँ की ओर इशारा करतीमाँ मुझको आँचल में ले ले।मेरी मुस्कानों से अपनीखुशियों की झोली भर लेछत पर आए चंदा मामाचहक उठी है बिटिया रानीरात चांदनी में रचेगीकुदरत कोई नई कहानी।टिम टिम करता जुगनू आयादौड़ी भागी हाथ न आया।फिर माँ ने आँचल फैलायाबिटिया रानी को बहलायाबिटिया रानी जिद है करतीपकड़ के लाओ मानो कहती। धरती के सितारे हैंये नन्हे ध्रुवतारे हैं।झिलमिल झिलमिलबहने दोइनको टिमटिम करने दोमाँ की सारी बातें मानीबिटिया रानी हुई सयानी। -देवेंद्र प्रताप वर्मा’विनीत’
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Ati sundar ……..
सचमुच यहाँ बेटी नहीं होती घर शमशान होता है…. आज कल न जाने क्यूँ भ्रूण हत्या हो रही है कुछ नासमझ इंसानों की वजह से…. बहुत ही मनोहारी रचना आपकी… जय हो…
बहुत ही सुन्दर रचना सर