तुम्हें पूजूंगा सनम पास आओ तो जरा मेघ बन कर के कभी नभ पे छाओ तो जरादूर से देख जिसे मुझे सुख मिलता रहा ऐसी सूरत को मेरे दर पे लाओ तो जरागीत कानों को मेरे सुकूं देते हैं तेरे अपने अधरों को हिला उन्हें गाओ तो जराखुशबू सी उड़ने लगे काम कुछ ऐसा करो रेशमी जुल्फ घनी फिर से बाओ तो जराचैन तुमको भी सनम अब ना आएगा कभी अकेला छोड़ मुझे मधुकर जाओ तो जराशिशिर मधुकर
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बहुत बढ़िया…. ‘अंत में सिर्फ आपने ज़रा’ लिखा जनाब….सारी जगह ज़रा कर लो प्रभु…. हाहाहाहा…
Tahe dil se shukriya Babbu Ji. Zara ko jara kar liya hai.