ना जाने क्यों तुमसे इतनी लगन है लगता है इसमें कोई राज भारी तुम्हारे लिए ज्यों तड़पता है ये मन क्या ऐसी ही हालत है कुछ कुछ तुम्हारी तुम्हें देखता हूं तो मन डोलता है तुम्हीं मेरा सपना हो ये बोलता है यूँ तो फूलों की महफ़िल जमी है तुम ही हो पर मेरा गेंदा हजारी तेरी सांस से जब ये सांसें मिली थी नशा ऐसा मुझको कभी ना हुआ था नजर को उठा के मेरी ओर देखो उतरी नहीं है अभी तक खुमारी वस्ल अपना अब तक ना भूला हूँ मैं तो हर पल तुम्हारी छवि ढूंढता हूं तुम अब ये मानो या फिर ना मानो मुश्किल से मैंने निशा है गुजारी तड़पा हूं मैं तेरे बिन जितना ज्यादा तुझे इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी मुझे प्यार एक साथ देना पडेगा मधुकर भूलेगा तब ही उधारी शिशिर मधुकर
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behad khoobsoorat….. udhaari chukta karwaane ka andaaz badhiya hai….
Tahe dil se shukriya Babbu Ji……..