मुझे मिले ना मिले दिल में तू समाया है इक तेरा प्यार मैंने बस यहां कमाया है बसा है तू ही नहीं मेरे दिल की धड़कन में मैंने भी दिल में तेरे अपना घर बनाया है वो कुछ भी कर लें मगर मैं तुझे ना भूलूंगी बड़े हुनर से मैंने तुझ पे हक़ जमाया है एक फकत तू ही मुझे इस जहां में अपना लगे अलावा इस के हर इक आदमी पराया है जब भी मौक़ा मिला मधुकर तू मेरी ढाल बना वरना लोगों ने सदा मुझको बस डराया है शिशिर मधुकर
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बहुत बढ़िया…..अंत में ढाल के साथ डराया कुछ सही नहीं लग रहा… डराया काफिया कमज़ोर है ढाल के आगे….
Tahe dil se shukriya Babbu Ji. Aur kuch sochtaa hun daraayaa ke sthaan par.
बहुत खूबसूरत शिशिर जी,
Tahe dil se shukriya Nivatiya Ji ………..