बात कुछ तो करो देखो ना गम बढ़ता चला जाएकोई इंसान भूले से ना उलफत में छला जाएहर इक परवाना मुहब्बत में राह शमा की तकता है भले ही लाख उसका तन बदन हरदम जला जाएदीवाने हैं जो तेरे हुस्न के जलवे दिखा उनको बहाने से इसी शायद सबका होता भला जाएअगर तू प्रीत अपनी वार दे उलफत के प्यासे पे दूर इंसान की ऐसे फिर तो हर इक बला जाएबिना तेरे देख होली भी ये हरदम अधूरी है ना रंग हाथों से मधुकर के दूसरों पे मला जाएशिशिर मधुकर
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बहुत बढ़िया…. इसको देखें….’दूर उस इंसान से फिर तो हर इक बला जाए’…जिसपे उल्फत वारी है उस की बला जानी है तो….
Dhanyavaad. Aaapka sujhaav bhi achchaa hai. vaise meraa bhe yahi matlab hai.