बात तुझसे जो करी सारी दिल ये हल्का हुआ वरना कब से मेरा चेहरा था बहुत ढलका हुआ असर तू देख ज़रा इक प्रेम रस पिलाने का ख़ुशी का घट मेरा लगता है देख छलका हुआ आज तू नाम ले बस अपने पुनीत रिश्ते का हीर रांझे का भी किस्सा है अब तो कल का हुआरोशनी प्यार की इक रस्ता मुझे दिखाएगी चली आ जल्दी कि अब फिर यहाँ धुंधलका हुआमुझे ना चैन मिला देखो तो फकत आने सेसांस मधुकर ये चली जब मिलने का मुचलका हुआ शिशिर मधुकर
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उम्दा….काफिया का बहुत बढ़िया प्रयोग…. पर हल्का में सही नहीं आया मुझे लगता क्यूंकि “हल” + का है..ल आधा इस लिए वो ह पर गिरता है… बोलने में मुझे लगता वो हल + अका साउंड करता है… हल आधे ल के साथ जीभ एकदम तालु के साथ लगती है…अल साउंड नहीं आती… बाकियों में अलका जैसे साउंड है…देखिएगा सही हूँ या गलत….बताईएगा मुझे भी… आप की जानकारी ज्यादा है मुझसे…
Dhanyavaad Babbu Ji. Research karnaa padegaa.
बहुत बढ़िया शिशिर जी……………………….. भाषागत तकनिकी स्तर के आधार पर बब्बू जी सही है !
Tahe dil se shukriya Nivatiya Ji …………………..