मन की खुशी हो या कोई गम हो कह डाला तुम से ही आ के कब से अधूरा था सपना सलोना पूरा हुआ तुम को पा के सुन्दर बहुत बोल लिख डाले उसने लेकिन ना कोई भी जानाउसको अमर गीत तुमने बनाया वाणी में अपनी गा केचारों तरफ बस अगन ही अगन थी सहमा हुआ था ये आलम बरसा ना हो चाहे बादल ये काला ठंडक तो दी इसने छा के सोचा था जो भी ना मुझको मिलेगा मुमकिन बनाया था तुमने मेरा सुकूं तुमको जां से था प्यारा तुम खुश हुए उसको ला के मौसम बदलता है दुनिया बदलती है पर तुम ना बदले हो मधुकर ढूंढे कहां आज मिलता है साथी जो तोड़े ना कसमों को खा के शिशिर मधुकर
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बहुत सुंदर शिशिर जी !
Tahe dil se shukriya Nivatiya Ji……
Nice
Thanks a lot
बहुत बढ़िया
Tahe dil se shukriya Bindu Ji ……………….
शानदार के साथ-साथ लाजवाब भी . कृपया इसे भी देखें- http://www.cartoondhun.com/unwavering-patience/
Tahe dil se shukriya Amritanshu ……..