माँ क्या होती हैकिसी ने पूछा मुझसे माँ क्या होती हैमैंने कहा मुझे पता नहीं क्या होती हैजो मैंने जाना और समझा है अब तकअगर समझ सके तो सुन और फिर गुण !!परिवर्तन की जिसमे ज्वाला होती हैधरा में प्रकृति की पुष्प माला होती हैएक मात्र सर्वशक्ति इस कायनात कीसबके लिए अमृत का प्याला होती है !!निराशा को आशा में,आशा को विश्वाश में,विश्वाश को श्रेष्ठ में,श्रेष्ठ को परिवेश में,परिवेश को भाषा में,भाषा को परिभाषा में,परिभाषा सन्देश में,सन्देश को आदेश में,आदेश को आशीर्वाद में,आशीर्वाद को प्रेम में,प्रेम को सत्यता में,सत्यता को ईश्वर में,ईश्वर को बचपन में,बचपन को अपने में,अपने को परिवार में,परिवार को दुनिया में,दुनिया को सृष्टि में,सृष्टि को प्रत्याशा में,प्रत्याशा को आशा में
जो बदल सकती हैवो माँ होती है……!!
जिसमे परिवर्तन की क्षमता होती है,जिसके ह्रदय में मात्र ममता होती हैभगवान् भी तरसते जिसके प्रेम कोवो सिर्फ और सिर्फ एक माता होती है !!!स्वरचित : डी के निवातिया
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उम्दा…….सुन और फिर गुण ? देखिये….कुछ रह गया या मैं नहीं समझा…
बहुत बहुत धन्यवाद बब्बू जी, ……………………….आपका इशारा मुक्तक की और है,……………………… लेकिन इस पद में मुक्तक नहीं रखा गया है क्योकि बात सुनकर उस पर ध्यान देने की और आकर्षित किया गया है इस कारण इसे श्रेणी मुक्त रखा गया है !
Behad khoobsoorat lekin Babbu Ji kaa aashay shaayad theek hai. Gun hona chaahiye naa ki gud.
बहुत बहुत धन्यवाद शिशिर जी आपका तातपर्य समझ पाने में असमर्थ रहा हूँ, कृपया स्पष्ट करने का कष्ट करे जिससे आवश्यक त्रुटि सुधार किया जा सके !