ए अम्बर के चंदा तुझे मैं बता दूं मेरा चांद धरती पे ही रह रहा है वो चांदी सा शीतल है बरता है मैंने ज़माना भी अब तो यही कह रहा है ज्यों तुम पास आओगे धरती के थोड़ा समुन्दर में हलचल सी होने लगेगी मेरा चांद जब से है बांहों में आया दर्द का हर इक पर्वत ढह रहा है रातों का तुमको संग जो दिया है कुदरत का देखो अनोखा नजारा मेरे चांद की भी हालत है ऐसी वो भी अंधेरों को नित सह रहा है मिलन की घड़ी के तो तुम साक्षी थे बिगड़ा है मौसम और तुम ना आए ज्वालामुखी मेरे दिल का जो फूटा लावा सुलगता सा बस बह रहा है ना तू देख बदला ना मैं देख बदला कितना भी मेघों ने पर्दा बनाया फिर से निकल के मेरा चांद मधुकर मुहब्बत की मुझको दे शह रहा है शिशिर मधुकर
Оформить и получить экспресс займ на карту без отказа на любые нужды в день обращения. Взять потребительский кредит онлайн на выгодных условиях в в банке. Получить кредит наличными по паспорту, без справок и поручителей
वाह क्या बात है शिशिर जी ……!
Tahe dil se shukriya Nivatiya Ji …….
प्यार को इजहार करती सुंदर रचना
Dhanyavaad Bindu Ji ……
laajwaab……………
Tahe dil se shukriya Babbu Ji ……