मगन जो हो गए खुद में उन्हें ढूढूं कहाँ जा करखो दिया लो एक साथी मैंने देखो आज पा कर करा था उसने तो वादा उम्र भर संग निभाने का करोगे क्या उसका बोलो तोड़ दे जो कसम खा कर मन में जो बात आती है उसे कागज़ पे लिखते है कोई सबको सुनाएगा ये मेरा हाल ए दिल गा कर मैं तो एक बार फिर से इस घनी गर्मी में तपता हूँ बड़ा जालिम है वो बादल उड़ गया जो फकत छा कर उसे अब दोष क्या देना ये तो अपनी जहालत है जो मधुकर मान बैठे सच मिलेगा खुद से वो आ कर शिशिर मधुकर
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सही कहा उम्मीद पर दुनिया कायम है ………………………….अति सुंदर !
Dhanyavaad Nivatiya Ji …….
laajwaab………….
Tahe dil se shukriya Babbu Ji …….