वो मुझको सताता है मजबूर बन के मगर तार जुड़ते हैं उससे ही मन के जमाने से डर के वो छुप सा गया हैमगर मैं डटा हूँ फिर भी लो तन के खुशियां मेरी लौट के आ गई हैं पायल की उसकी घुंघरू जो खनके गेसू की छाया जो वो मुझको दे दे गुजर जाएंगे फिर ये दिन भी अगन के तेरी बौखलाहट से कुछ भी ना होगा बीमार आशिक हैं पक्के जहन के कोई बात रुकने की तब तक ना होगी थमेंगे ना जब तक इशारे नयन के भले तू मुकर जाए बातों से अपनी मधुकर से रहते हैं पक्के वचन के शिशिर मधुकर
Оформить и получить экспресс займ на карту без отказа на любые нужды в день обращения. Взять потребительский кредит онлайн на выгодных условиях в в банке. Получить кредит наличными по паспорту, без справок и поручителей
Aapki avita dil ke taro ko ander tak jhankar deti hai . Bahut khub Sir
Tahe dil se shukriya Rajeev Ji ……..
सदैव की तरह उत्तम सृजन शिशिर जी ।
Tahe dil se shukriya Nivatiya Ji ……….