दे रहा हिसाब तुमको मैं आज
छः साल किया है जो हमने काज
कौशल विकास का रथ दौड़ाया
हर हुनर को हमने पंख लगाया
स्टार्ट-अप स्टैंड-अप हमारा मिशन
दे रहा युवा को है नवजीवन
“मुद्रा” का मिल रहा कितनो को लाभ
युवा में बढ़ रहा स्वरोजगार
गली-मोहल्ले की हो रही सफाई
स्वच्छता की हमने दीप जलाई
घर-घर में शौचालय बनवाई
बहू-बेटी की है लाज बचाई
जगमग करती अब गांव की गलियां
गांव में न अब बिजली की कमियां
बनाती धुँए में जब खाना थी सखियाँ
“उज्जवला” ने दूर कर दी वो बतियां
“जन-औषधि” से दवा हुआ सस्ता
“आयुष्मान भारत” से इलाज हुआ पक्का
सड़को और पुलों का बढ़ रहा है जाल
देखो नदियों से हो रहा है व्यापार
मिट्टी की सेहत की होती है जांच
मिल रहा किसानों को इससे है लाभ
उचित मूल्य और बीमा फसलों से
हर किसान का आँगन है खुशहाल
खेल भ्रष्टाचार का किया हमने बंद
चोर हो रहे अब जेलो में बंद
घाटों पर कल तक फैला था मैला
देखो वहाँ लगता है संतो का मेला
सेना को हमने खुली छूट दिया है
दुश्मन को घर में घुसकर कूट दिया है
थर-थर दुश्मन अब काँप रहा है
दुनिया में भारत का जयगान हो रहा है
बहुत बढ़िया जी, “जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन तैसी”
धन्यवाद निवातिया जी।
बेहद खूबसूरत विचारों को कलमबद्ध किया है…. हाँ मुद्रा योजना का सत्य कुछ और है… बस…
धन्यवाद शर्मा जी।